Examine This Report on sidh kunjika
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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ १३ ॥
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
Stotram could be the music. The Music of Perfection which is no longer hidden due to progress. That is certainly, our spiritual expansion and idea of the Chandi exposes the concealed meanings with the bija mantras during the Music.
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
No. Pratyahara signifies to deliver the senses inside of. That's, closing off external perception. Stambhana fixes the perception within by holding the imagined even now as well as the feeling.
मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
इसके लिए मां दुर्गा के समक्ष घी का दीपक जलाएं. इसे देवी की तस्वीर के दाईं तरफ रखें.
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में check here वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ